Saturday, November 15, 2025

शब्द कट रहे हैं,

शब्द कट रहे हैं,

शब्द कट रहे हैं,
निर्वाणी दिल को छूती है।

विचार राहें खोजते हैं,
हवा की लय मन को बहा ले जाती है।

नज़रे बारिश की तरह गिरती हैं,
आँखों में कहानियाँ फैलती हैं।

दूरी अचानक उठती है,
स्मृतियाँ चमकती हैं, बीच में खड़ी।

क्षण सपनों को जोड़ते हैं,
दिल एक छुपा हुआ गीत गाता है।

साये शाम में मिल जाते हैं,
बेबसी लाल बादलों में रास्ता बनाती है।


जी आर कवियुर 
15 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)


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