Wednesday, November 5, 2025

प्रेम की मौन शकुंतला


प्रेम की मौन शकुंतला

वन में शांतता फहराती है,
शकुंतला का हृदय प्रेम से खिलता है।
राजकुमार को देखा, आंखों में प्रकाश,
पुष्पमाला, चमेली की बेल खुशबू बिखेरती।

नदी किनारे पानी अपनी सुंदरता गाता,
पक्षी अनंत गीत गाते हैं।
चंदन की टहनी पर हंसी खिलती है,
छाया में बगीचे के फल मिठास फैलाते हैं।

गर्मी की रात में आंसू बहते हैं,
कुंए के जल में हृदय की लय झलकती है।
तुलसी की माला शांति फैलाती है,
कहानियाँ समय के हाथों में जीवित रहती हैं।

जी आर कवियुर 
(कनाडा, टोरंटो)
04 11 2025

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