Tuesday, November 25, 2025

पसंद आती है,(ग़ज़ल)

पसंद आती है,(ग़ज़ल)

अब तेरी मीठी इश्क़ में तन्हाई पसंद आती है,
तेरी यादों की महक दिल को पसंद आती है(2)

रात की ख़ामोशियों में तेरी धड़कन सुनाई देती,
कुछ अजीब-सी ये तन्हाई भी अब रंग लाती है(2)

तेरे जाने के बाद भी तेरी आहट दिल को छू जाती है,
हर कदम पर तेरी चाहत मुझे छूती जाती है(2)

अंखियों में बसते सपने तेरी तस्वीर बना लेते,
फिर वही अश्कों की गरमी दिल को समझाती है(2)

इक मोहब्बत की रवानी है जो थमती ही नहीं,
तेरी राहों की ये खुशबू भी साथ निभाती है(2)

जी आर बरसों बाद भी दिल से मानता है,
पहली धड़कन याद आती है(2)

जी आर कवियुर 
25 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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