“मौन का संगीत”
सबेरे में मौन धीरे से बुलाता है
फूलों की खुशबू हवा में नाचती है
नदी के पानी में चुप्पी का संगीत बहता है
पक्षियों के गीत दिल को आनंद से भरते हैं
चांदनी शांत स्थानों में चमकती है
गर्मी की सुंदरता कोमल भाव जगाती है
आसमान में बादल नृत्य करते हैं
छोटी बूंदें जीवन में खेल बिखेरती हैं
छायादार वृक्ष चारों ओर शांति फैलाते हैं
नई राहों में यादें चमकती हैं
पंख वाले पल मीठे सपनों की ओर उड़ते हैं
मौन बोलता है, दिल मधुर गीत गाता है
जी आर कवियुर
12 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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