Tuesday, November 18, 2025

सागर मेरा है

सागर मेरा है

सागर मेरा है, फिर भी तेरी लहरों तक ही पहुँचना है,
जहाँ भी जाऊँ, जीवन की धाराएँ आगे बढ़ती रहती हैं,
न तो तूफ़ान, न खतरे इसे रोक सकते हैं,

सात सौ योजनाओं की हवा भले ही भरे, किनारा न पाएगी तेरा,
समय कितना भी बीत जाए, तेरी धड़कन की तीव्रता मंद न होगी,
दुनिया भले भुला दे, सिर्फ़ तेरी आवाज़ ही सुनाई देगी,
अक्षरहीन तकदीर की पंक्तियों में, तेरा साया चमकता रहेगा,

अडिग सांध्य में नया भोर धीरे-धीरे खिलता है,
मौन की लय मेरी छाती में लहरें बनाती है,
मृदु यादों की खुशबू मेरी सांसों में बहती है,
कठिन राहों में आशा का दीपक नया उजाला दिखाता है,

उठती हवा का दिल राग को मन तक पहुँचाता है,
जलते तारे भी कभी न बुझने वाले सपनों की रक्षा करते हैं,
शांत तट पर आत्मा विश्राम करती है,
हर रात साहस उठता है, नए रास्ते बनाने को,

सागर मेरा है, फिर भी तेरी लहरों तक ही पहुँचना है,
जहाँ भी जाऊँ, जीवन की धाराएँ आगे बढ़ती रहती हैं,
न तो तूफ़ान, न खतरे इसे रोक सकते हैं।

जी आर कवियुर 
18 11 2025
(कनाडा, टोरंटो)

No comments:

Post a Comment