ग़िला-शिकवे के फासले में भी,
तेरी यादों का सिलसिला है बाकी अभी।
राहों में तन्हाई की खुशबू बिखरी है,
हर मोड़ पर तेरी परछाई बाकी अभी।
ख़ामोशी की भीड़ में तेरी हँसी सुनाई देती है,
दिल की दीवारों पर तेरा नूर बाकी अभी।
वक्त के बहाव में भूल जाने की कोशिश की,
पर दिल में तेरी यादों का साया बाकी अभी।
चांदनी रातों में तेरी बातों का असर है,
सपनों की दुनिया में तू मौजूद अभी।
हर शेर में बस तेरा नाम मैं गुनगुनाऊँ,
ग़ज़ल के हर मोड़ पर जी आर बाकी अभी।
जी आर कवियुर
29 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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