बरसती रातों में, दिल भीग रहा है
तेरी यादों के निशान मन में उतर रहे हैं
बादलों के बीच, मोहब्बत धीरे बह रही है
प्यार की छाया आँखों में खेल रही है(2)
गिरती बारिश की आवाज़ सुनाई देती है
बिन कहे हुआ दर्द धीरे घुल रहा है
दिल के कोने में एक ठंडक बिखरती है
दुख की कोमल लहरें मोहब्बत में फूट रही हैं(2)
अविश्वसनीय रात में, ढूँढ रहा हूँ चमकती रोशनी
तेरी यादें धुंध में तैर रही हैं
माला की तरह बरसती यादें भूलने की कोशिश में हैं
क्यों ये दुखभरी रात दिल को पूरी तरह भर देती है?(2)
जी आर कवियुर
22 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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