Thursday, November 13, 2025

“समय बहता है”(भाव गीत)

“समय बहता है”(भाव गीत)

समय बहता है, दिल में यादें जागती हैं
दूर की नजरें, प्यार की धड़कन बढ़ाती हैं (2)

धुंधली धूप में ठंडक समाती है
सन्नाटा भरे लम्हों में दिल जागता है
पत्ते गिरते हवाओं में सपने खो जाते
गर्मियों की हंसी में प्यार कहीं खो जाता(2)

समय बहता है, दिल में यादें जागती हैं
दूर की नजरें, प्यार की धड़कन बढ़ाती हैं

पतझड़ की गर्मी से राहों में दर्द बहता
गिरी हुई बूंदों में दूरियों के ख्वाब पलते
हिम बारिश की रात में आंखें भीग जाती
गायब हो गए प्यार की यादें घाव छोड़ जाती(2)

समय बहता है, दिल में यादें जागती हैं
दूर की नजरें, प्यार की धड़कन बढ़ाती हैं

दूर लम्हों की यादें दिल में ठहर जाती
एकाकीपन बहता है, आंसुओं में डूब जाता
मौन लय में शामें धीरे-धीरे बिखरती
दूर की नजरें दिल की धड़कन बढ़ाती(2)

समय बहता है, दिल में यादें जागती हैं
दूर की नजरें, प्यार की धड़कन बढ़ाती हैं

दिल की ताल में यादें उठती हैं
रंगहीन रातों में खेत भी गुनगुनाते हैं
भूल के आंसू में प्यार का बसेरा
एकाकीपन में विरह का गीत खिलता है(2)

समय बहता है, दिल में यादें जागती हैं
दूर की नजरें, प्यार की धड़कन बढ़ाती हैं


जी आर कवियुर 
13 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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