हर ग़म में खोया, मगर तेरी याद न घटी
दिल ने भुलाया बहुत, पर फ़रियाद न घटी(2)
रातों की चाँदनी में तेरा नाम लिखा
साँसों में महका वही, जो बात न घटी(2/
फूलों से सीखा है हमने सब्र का रंग
तू ना मिला फिर भी दिल की ज़ात न घटी(2)
राहों में ठहर गया वक़्त तेरी चाह में
धड़कनों की सदा में तेरी बात न घटी(2)
बरसों से जी.आर. ने लिखी तेरे नाम की ग़ज़ल
क़लम थम गई पर तेरा एहसास न घटी(2)
जी आर कवियुर
02 11 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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