लोग कहते हैं कि यादों के तराने भुला दो,
लगता है हमें वो दिल के निशाने भुला दो(2)
तेरी बातों के सभी मीठे फ़साने भुला दो,
जो दिल ने लिखे थे रातों के अफ़साने भुला दो(2)
तेरी राहों में बिछे थे जो पुराने बहाने,
अब उनसे उठे हुए सब तहख़ाने भुला दो(2)
तेरी धड़कन के जो आए थे पुराने तराने,
मेरे सीने में छुपे उन अफ़साने भुला दो(2)
जो भी मौसम थे कभी दर्द के तीर चलाने,
उन हवाओं के सभी तीखे निशाने भुला दो(2)
अब जो पल-पल में तेरी याद जगाए फ़साने,
जीने के लिए वो टूटे तराने भुला दो(2)
जी आर के सभी दिल के अफ़साने भुला दो,
अब ग़ज़ल में भी तुम्हारे ही फ़साने भुला दो(2)
जी आर कवियुर
25 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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