आज खिल रहा है जीवन,
मुस्कान बिखेरो, आगे बढ़े मन(2)
मुरझाए सपनों को अब मत ढूंढो,
नए सवेरा में खुशबू बिखेरो।
बीती यादों को उड़ जाने दो,
नया गीत मन में गाने दो(2)
आज खिल रहा है जीवन,
मुस्कान बिखेरो, आगे बढ़े मन(2)
सुबह की हँसी फूल बन जाए,
भविष्य के भ्रम में मत सो जाए।
यह पल अमृत सा बह जाए,
जी लो इसे, मन मुस्काए(2)
आज खिल रहा है जीवन,
मुस्कान बिखेरो, आगे बढ़े मन।
धूप में सपनों की डोर बुनो,
बारिश में गीतों की छोर चुनो।
मेघों के साये हट जाने दो,
जीवन की राह बढ़ जाने दो(2)
आज खिल रहा है जीवन,
मुस्कान बिखेरो, आगे बढ़े मन।
जी आर कवियुर
04 11 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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