Friday, November 21, 2025

लहर उठा (ग़ज़ल)

लहर उठा (ग़ज़ल) 

तेरे मिलने के बाद लबों पे नूर उठा,
मेरे दिल में भी एक नया ख़्वाबों की लहर उठा(2)

तेरी यादों की बारिश ने वीराने में रंग उठा,
ख़ामोशियों में भी एक हलचल नया उठा(2)

तेरी हँसी की खनक ने टूटी दिल की दीवार को छू लिया,
मेरे जख्मों में भी फिर इक चिराग़ उठा(2)

तू जो पास आया तो मौसमों में बहार आई,
मेरी थकी साँसों में भी एक ग़म-ए-ख़ुशी उठा(2)

तेरे लफ़्ज़ों की मिठास ने चुप रहकर भी मुस्कान दी,
मेरे दिल की हर दीवार पे एक प्यार का सुकून उठा(2)

तेरी आँखों का जादू फिर से दिल में उतर आया,
मेरी रातों में भी एक चाँद सा उजाला उठा(2)

कविता लिखते हैं जी आर, हर लफ़्ज़ में असर उठा,
तेरे नाम के जादू से मेरी ग़ज़ल में लहर उठा(2)

जी आर कवियुर 
21 11 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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