Wednesday, November 12, 2025

मैं कौन हूँ,

मैं कौन हूँ,

मैं कौन हूँ, पूछते हुए आँसू बहते हैं
भावनाओं के संग मन खोज में रहता है
रंगहीन राहों में मैं अकेला चलता हूँ
स्मृतियों की बारिश में विचार बह जाते हैं

पंखों के बिना, मैं हवा में उड़ता हूँ
निर्मल खामोशी में ध्वनि की खोज करता हूँ
प्रेम, दर्द और आनंद सब अनुभव करता हूँ
समय की विशालता में कदमों की गूँज है

छिपे हुए पल नरम आँसुओं में मिलते हैं
जहाँ पंख प्रकट होते हैं, वहां प्रकाश गिरता है
नई राहों में जिज्ञासा गीत गाती है
मैं कौन हूँ पूछते हुए मिठास फूटती है

जी आर कवियुर 
12 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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