Wednesday, November 5, 2025

“जीवन का गीत”

“जीवन का गीत”

जीवन का गीत, प्रकृति में बहता,
दिल में मधुरता फैलता, हृदय गाता।(2)

बरसात की बूँदें गिरती हैं, मिट्टी की खुशबू फैलती है,
हवा की कोमल छुअन से गीत जन्म लेता है।
चाँदनी की छाँव में सपने नृत्य करते हैं,
पेड़ों की परछाइयों में यादें जागती हैं(2)

जीवन का गीत, प्रकृति में बहता,
दिल में मधुरता फैलता, हृदय गाता।

बहती नदी के किनारे हंसी खिलती है,
जब पंछी गाते हैं, दिल जीवित हो उठता है।
जहाँ फूल खिले हैं, वहाँ विचार उड़ते हैं,
सूरज की सुनहरी किरणें नए दिन को रोशन करती हैं(2)

जीवन का गीत, प्रकृति में बहता,
दिल में मधुरता फैलता, हृदय गाता।

जीवन का गीत, प्रकृति में बहता,
दिल में मधुरता फैलता, हृदय गाता।
तारे मुस्कुराते हैं और रात की कहानी सुनाते हैं,
बादल दूर हटते हैं, आशा बढ़ती है(2)

जीवन का गीत, प्रकृति में बहता,
दिल में मधुरता फैलता, हृदय गाता।

जीवन का गीत, प्रकृति में बहता,
दिल में मधुरता फैलता, हृदय गाता।
जीवन हर पल नई धुन में गाता है,
प्रकृति के संग मिलकर हृदय खिलता है(2)

जीवन का गीत, प्रकृति में बहता,
दिल में मधुरता फैलता, हृदय गाता।

जी आर कवियुर 
(कनाडा, टोरंटो)
04 11 2025

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