साँसों की गिनती में अब धीरज रखो
हर एक पल में थोड़ा मुस्कान रखो(2)
बीत गए दिन और बीते रंगों की बात
पर यादों में अभी भी उमंग रखो(2)
झुर्रियों में छुपा है जीवन का सार
हर लकीर में अनुभव और प्यार रखो(2)
चिंताओं की परतें धीरे-धीरे हटा दो
हर सुबह अपने दिल में नया विचार रखो(2)
वक़्त की गति को न रोक पाओगे तुम
बस हर कदम में संतोष और उभार रखो(2)
माना कि उम्र कुछ खोए-खोए दिन लाती
पर आँखों में सपनों का उजाला रखो(2)
उम्र के सफर में सीख ले ज़रा, जी आर
चिंताओं को छोड़, मुस्कान हृदय में रखे(2)
जी आर कवियुर
22 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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