Sunday, November 9, 2025

पहली बर्फ़बारी

पहली बर्फ़बारी

आसमान सजा सफ़ेद, सपने हुए जीवित,
मौन बन गया संगीत, जगमगाया हरचित(2)

आसमान सजा सफ़ेद, सपने हुए जीवित,
मौन बन गया संगीत, जगमगाया हरचित.
ठंडी हवाओं का हल्का स्पर्श,
चाँदनी में मेपल की पत्तियाँ करती नृत्य सर्श.(2)

आसमान सजा सफ़ेद, सपने हुए जीवित,
मौन बन गया संगीत, जगमगाया हरचित।

सड़कें मुस्काईं, मोती जैसी नरम,
पेड़ छिपे हल्के चादरों में, उजली चमक तमाम.
छोटे कदमों की परछाई,
सपने हवा में तैरें, बिना कोई आह्वान.(2)


आसमान सजा सफ़ेद, सपने हुए जीवित,
मौन बन गया संगीत, जगमगाया हरचित।

आँखों में आश्चर्य, दिल में उजाला,
खुशी के पल भरें असीम सवेरा.
नरम बर्फ़ में जागा आत्मा आज़ाद,
ज़िंदगी लगती एक नई कविता का इज़हार.(2)

आसमान सजा सफ़ेद, सपने हुए जीवित,
मौन बन गया संगीत, जगमगाया हरचित।

जी आर कवियुर 
08 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)

No comments:

Post a Comment