Wednesday, November 26, 2025

प्यार की रूहानी सफर (सूफी ग़ज़ल)

प्यार की रूहानी सफर (सूफी ग़ज़ल)

लहरों में बिखरी है तन्हाई की दास्तान भुला दो,
दिल के हर साये में इक ख़ुदा का निशान भुला दो(2)

रूहानी रंगों में जो भी तेरे नाम के तराने,
उन सांसों के मीठे अफ़साने अब भुला दो(2)

जमाने की भीड़ में खोये जो निशाने-ए-इश्क़,
उन हवाओं के सभी फ़साने अब भुला दो(2)

जो दिल ने खोजे थे राह-ए-हक़ीक़त के बहाने,
उन तलाशों के पुराने फ़साने भुला दो(2)

शब-ओ-रोज़ में जो चमकते थे इश्क़ के सितारे,
उन नूरानी पुराने तराने भुला दो(2)

जी आर के हर दिल के अफ़साने भुला दो,
अब ग़ज़ल में भी तुम्हारे ही फ़साने भुला दो(2)

जी आर कवियुर 
26 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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