Saturday, November 15, 2025

सागर की लहरें

सागर की लहरें

सागर की लहरें
लहरें किनारे को चूमते हुए फैलती हैं।

हवा में बहता पानी आँखों में गीत गाता है,
मौन मुस्कुराते बादलों को छूता है।

स्मृतियों की लहरें घूमती हैं जैसे झूला,
हृदय में शांति की तलाश करती उपस्थिति।

साये चांदी की बारिश में बहते हैं,
सागर की गर्जना आत्मा में गूँजती है।

भ्रम लहरों में छिप जाते हैं,
तारे नीले आकाश में आईने की तरह गाते हैं।

जहाँ तुम नहीं हो, वहाँ गति छाँव बन जाती है,
सागर की लहरें जीवन की कहानी सुनाती हैं।

जी आर कवियुर 
15 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)


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