Thursday, November 27, 2025

कविता : मौन प्रहरी

 कविता : मौन प्रहरी: एक क्रिसमस चिंतन



प्रस्तावना

ऊँचे नटक्रैकर के पास इतिहास, वीरता और उत्सव की खुशी मिलती है। यह लकड़ी का प्रहरी, क्रिसमस की खुशियों का प्रतीक, दूर के सैनिकों की यादें, विविध संस्कृतियाँ और शाश्वत परंपराएँ लेकर खड़ा है। शांत निरीक्षक महसूस कर सकता है कि कैसे अतीत और वर्तमान कोमल उत्सव में मिलते हैं।


कविता : मौन प्रहरी


ऊँचे नटक्रैकर के पास खड़ा एक शांत दृश्य,

कवच चमकता है पुरानी यादों के ज्वाल में।

क्रिसमस की खुशी नाचती है हर प्रकाश में,

गीतों और हंसी से भर जाते हैं हृदय रात में।


जर्मन सैनिकों की कथाएँ धीरे उठती हैं,

अमेरिकी गार्ड की शान सबकी आँखों में चमकती है।

भारतीय वीरता उभरती है रक्तरंजित मैदान में,

ढाल चमकती हैं इतिहास की जीवंत कहानी में।


लकड़ी का प्रहरी चमकता है उजाले में,

सांस्कृतिक पुल जोड़ता है दुनिया में।

इतिहास कहता है सेनापतियों की राह,

क्रिसमस फैलाए प्यार, खोलें हर दिल की चाह।


जी आर कवियुर 

(27 

11 2025)

(कनाडा, टोरंटो)

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