बालकनी से दिखती शांति मन को सहलाती है,
टोरण्टो कोमल चादरों में धीरे-धीरे जगता है,
छतों पर सर्दियों की चाँदी-सी लकीरें उतरती हैं।
ठंडी सुबह में सांसें हल्के धुंए-सी घुल जाती हैं,
कदमों के निशान नरम बर्फ में खो जाते हैं,
बादल चमकती ठंडी राहें बिखेरते चलते हैं,
पेड़ खड़े हैं श्वेत सौम्यता में लिपटे हुए।
जमी हुई हवा में क्षितिज हल्का-सा चमकता है,
दूर की प्रतिध्वनियाँ सफेद परदों में खो जाती हैं,
प्रकृति शांत अद्भुत चित्रों को गढ़ती रहती है,
दिल सुबह की बर्फबारी में उजास पाते हैं।
जी आर कवियुर
30 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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