Sunday, November 9, 2025

प्यार का वन”

 “प्यार का वन”

नज़रों में खिला है एक सपनों का वन,
दिल की धड़कनों में है निर्मल स्पंदन।
हवा की सांसों में घुली है मिठास,
शांति में जागे अनंत उल्लास।

पंछी गाते प्रभात की तान,
ओस मुस्काए जैसे अरमान।
फूल खिले भोर की लय पर,
रंग बुनें सपनों का पथ सुंदर।

मन में बहती कोमल तरंग,
आकाश खड़ा है बाहें फैलाए।
एक वृक्ष सच्चाई में स्थिर,
प्यार का वन सदा जीवन दे जाए।

जी आर कवियुर 
10 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)



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