तेरी कृपा में खो गया,(सूफी ग़ज़ल)
दिल ने जब प्रणाम किया, तेरी कृपा में खो गया,
मैं नहीं अब मैं रहा, बस तेरे प्रेम में खो गया(2)
हर सुख तेरे नाम का है, हर दुख भी तेरा दान है,
पीड़ा भी अब गीत बन गई, तेरी कृपा में खो गया(2)
रात भर तेरी याद में, दीप मन में जलने लगे,
चाँद भी जैसे साथ चला, उस आराधन में खो गया(2)
श्वास की हर लय में अब, तेरा नाम ही गूंजता,
रूह का हर तार बँध गया, तेरे सान्निध्य में खो गया(2)
मंज़िलें सब मिट गईं, राहें उजियारी हो गईं,
जाने क्या हुआ मुझे, तेरी ममता में खो गया(2)
‘जी आर’ जब झुका वहाँ, ज्योति ही ज्योति छा गई,
वो भी शायद स्वयं नहीं, तेरी सूरत में खो गया(2)
जी आर कवियुर
30 10 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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