साजन बिन कैसे बीते,
सावन की रातिया कैसे बीते।(2)
दिल की धड़कन सूनी लगती,
तेरे बिना सभी पल बीते।(2)
चाँद भी तन्हा लगता अब,
बादल की बात किया करे बीते।(2)
पलकों पे बसी तेरी छाया,
नींद भी अब रूठी सी बीते।(2)
तेरी यादों की महक उड़े,
हर सांस में बस तू ही बीते।(2)
जी आर कहे अब क्या लिखे,
तेरे बिन ये शेर भी बीते। (2)
जी आर कवियुर
08 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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