Tuesday, October 7, 2025

जब मदार खिलते हैं (शिव भजन)

जब मदार खिलते हैं (शिव भजन)

ॐ नमः शिवाय गाओ मेरे मन,
सारे दुःख दूर हो जाएँ।
ॐ नमः शिवाय गाओ मेरे मन,
सारे दुःख दूर हो जाएँ। (2)

जब खुले मैदानों में मदार खिलते हैं,
भक्तगण, माला पहनाये 
शब्दों से शिव को स्पर्श करते हुए,
शिव का स्मरण करें।(2)

ॐ नमः शिवाय गाओ मेरे मन,
सारे दुःख दूर हो जाएँ।

पलाझी की शांति के बीच,
जब वासुकी विष उगलते हैं,
महादेव जगत के उद्धार के लिए उसे पी जाते हैं,
बूँदें छलकतीं, फूल नीला हो गया। (2)

ॐ नमः शिवाय गाओ मेरे मन,
सारे दुःख दूर हो जाएँ।

वन के फूल औषधि की तरह खिलते हैं,
जीवन का संचार करते हैं,
शिव की कृपा से हृदय भर जाता है,
भक्त हृदय में शांति फैलती है। (2)

हे नीलकंठ वाले, दयालु,
भक्त हृदय में आप राज करें,
ॐ नमः शिवाय, माला में,
मेरी आत्मा को आप भर दें। (2)

ॐ नमः शिवाय गाओ मेरे मन,
सारे दुःख दूर हो जाएँ।

जी आर कवियुर 
07 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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