Wednesday, October 22, 2025

“समय की करुणा”

“समय की करुणा” 

जो सपने बड़े लगे थे कभी,
कुछ पलों में ही खो गए,
छोटे से लम्हे बस रह गए,
दिल में अमर होकर सो गए।

जब समय ने छुआ कोमलता से,
स्मृतियाँ मोती बन चमकीं,
आधी बातें मौन में खो गईं,
बाकी हवा में बिखर गईं।

अहंकार रे, समझ ले ये बात —
कल शायद आ भी न पाए,
जीवन की राह छोटी सी है,
चलते-चलते याद बन जाए। 

जी आर कवियूर
22 10 2025

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