कोहरे में तुमसे मुलाक़ात हुई,
ख़ामोश सुबह मुस्कुराई नई।
तेरी आँखों में इक सपना था,
दिल में सुरों की रौशनी छाई। (2)
हवा ने छूकर गीत सुनाया,
यादों ने मन को भींगाया।
चाँदनी बन तू उँगलियों पर आई,
प्यार का सागर बहता गया। (2)
कोहरे में तुमसे मुलाक़ात हुई,
ख़ामोश सुबह मुस्कुराई नई।
तेरी आँखों में इक सपना था,
दिल में सुरों की रौशनी छाई।
फूलों पे ओस की बूँद बनकर,
धीरे कहा “मैं तेरे संग हूँ”।
दिल की राहों में तुम रह गए,
बिन बोले प्यार का रंग छा गया। (2)
कोहरे में तुमसे मुलाक़ात हुई,
ख़ामोश सुबह मुस्कुराई नई।
तेरी आँखों में इक सपना था,
दिल में सुरों की रौशनी छाई।
जी आर कवियुर
26 10 2025
(Canada, toronto)
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