अधूरी बात अधूरी ही रहने दो,
ये राज़ अधूरा रहने दो(2)
नज़र से नज़रों की बात हुई,
लबों की खामोशी रहने दो(2)
वो चाँद अभी पर्दे में है,
उसकी रोशनी को रहने दो(2)
दिल की सदा को सुनने दो,
इन सांसों का सुरूर रहने दो(2)
मिलन की रात अभी अधूरी है,
ख़्वाबों का सफ़र यूँ ही रहने दो(2)
‘जी आर’ ने भी अब सीखा है,
हर दर्द को शेर में रहने दो(2)
जी आर कवियुर
23 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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