Monday, October 13, 2025

प्यार के मौसम की यादें” ( ग़ज़ल)

प्यार के मौसम की यादें” ( ग़ज़ल)

जब हम मिले थे, सावन की चहक थे
फूलों के खिलने, तितलियाँ उड़ते थे (2)

चिड़ियों की बोली, चाँद की मुस्कराहट थे
आज मैं और मेरी तन्हाई, बस साथ थे(2)

वो बहारें लौटें, यादों के संग साथ थे
हर पतझड़ में तेरी खुशबू, मेरे दिल में बसते थे(2)

सर्दियों की ठंडी रातें, आग के पास थे
तेरे गीतों की गूँज में, हम दोनों पास थे(2)

वसंत की हवा में, फूलों की तरह खिले थे
तेरे हँसते चेहरे में, मेरे अरमान मिले थे(2)

बरसात की बूंदों में, तेरी यादें भीगते थे
छत पर हम मिलते, हर गीत में झूमते थे(2)

पतझड़ की पत्तियों में, तेरे कदम थे
संग चलकर बतकही, जैसे सपनों के हमदम थे(2)

जी आर, ये दिल तेरे लिए हमेशा रहते थे
हर साँस में तेरी यादें मेरी रूह में बसते थे(2)

जी आर कवियुर 
13 10 2025 
(कनाडा, टोरंटो)

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