Tuesday, October 28, 2025

ग़ज़ल - "तेरी यादों ने मुझे सोने न दिया"

ग़ज़ल - "तेरी यादों ने मुझे सोने न दिया"


तेरी यादों ने मुझे सोने न दिया
सांसों में तेरी महक जीने न दिया (2)

हर सुबह तेरी आहट से जागे ये दिल
रात भर तेरा ख्याल सीने न दिया (2)

तेरी आँखों की चमक में खो गया मैं
किसी और रौशनी ने मुझे देखे न दिया(2)

ख़ामोशियों में भी तेरी आवाज़ रही
दर्द ने फिर भी किसी को चीने न दिया(2)

तेरे जाने के बाद भी महका है जहाँ
तेरी चाहत ने मुझे मुरझाने न दिया(2)

तन्हाई के सफर में भी मुस्कुराता रहा
क़लम ने जी.आर. को रोने न दिया(2)

जी आर कवियुर 
27 10 2025
(कनाडा, टोरंटो))


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