तेरी यादों ने मुझे सोने न दिया
सांसों में तेरी महक जीने न दिया (2)
हर सुबह तेरी आहट से जागे ये दिल
रात भर तेरा ख्याल सीने न दिया (2)
तेरी आँखों की चमक में खो गया मैं
किसी और रौशनी ने मुझे देखे न दिया(2)
ख़ामोशियों में भी तेरी आवाज़ रही
दर्द ने फिर भी किसी को चीने न दिया(2)
तेरे जाने के बाद भी महका है जहाँ
तेरी चाहत ने मुझे मुरझाने न दिया(2)
तन्हाई के सफर में भी मुस्कुराता रहा
क़लम ने जी.आर. को रोने न दिया(2)
जी आर कवियुर
27 10 2025
(कनाडा, टोरंटो))
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