Sunday, October 26, 2025

मधुर सा सुर।

मधुर सा सुर।

महकते जंगल में मैं तुम्हें याद करता,
तुम देते हो यह मधुर सा सुर।
क्या है यह दक्षिण की हवा, या
संगीत की स्वर लहरियाँ softly बताती हैं?

इंद्रधनुष से भरा आसमान,
तुम फैलाते हो रंग और गाते हैं।
नदी की कल-कल की आवाज़ सुनता हूँ,
सपनों में भी ये दृश्य दिखाई देते हैं।

छोटे पक्षियों के गीतों में,
मैं तुम्हें पाता हूँ, सामने खड़े।
दिल में भरा यह आनंद,
तुम्हारी याद में हृदय चमकता है।

जी आर कवियुर 
26 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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