तेरी बस्ती में मदिरा बरसता है,
तेरी मस्ती में लोक तरसता है।
जाम से जाम मिलते रहे इस राह में,
तेरी याद का नशा भी साथ बहता है।
हर सुर में तेरा नाम गूंजता है,
हर सांस में तेरी खुशबू बहता है।
मधु जैसी तेरी बातें मुझमें घुलती हैं,
हर दिल में तेरी याद बहता है।
मोहब्बत की ये रातें तनहा नहीं हैं,
तेरी हँसी में जहाँ बहता है।
संगीत की हर ताल पे तेरा असर है,
हर सुर में तेरी मस्ती बहता है।
इस दिल की प्यास बुझाए नहीं कोई,
जी आर का दिल फिर भी तुझ पे रहता है।
जी आर कवियुर
23 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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