Thursday, October 30, 2025

होश खो बैठा (ग़ज़ल)

होश खो बैठा (ग़ज़ल)


मैं होश खो बैठा तेरी याद में,
झलकता है दिल मेरा आईने में। (2)

चाँदनी रात में तेरी बातें आईं,
हर सुकून मेरा तेरे नाम में छुपा।(2)

सन्नाटों में गूंजे तेरा हँसना,
हर एक लम्हा मेरा तेरी याद में डूबा।(2)

फूलों की खुशबू भी तुझसे मिली,
हवा में घुला है तेरी बातों का जादू।(2)

टूटे दिल को सजाया तेरा ख्याल,
माना कि तुझसे जुदा हूँ पर नाम तेरा।(2)

जी आर का नाम हर शेर में बसे,
मेरे गीतों में तेरा सुर अब तक गूंजे।(2)

जी आर कवियुर 
30 10 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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