ज़रा-सी बात पर क्यों तुम मुँह मोड़ लिए,
हम तो तुम्हारे ही थे, फिर क्यों छोड़ लिए(2)
तेरी यादों से दिल का रिश्ता जोड़ा था,
तुमने निगाहों के तीरों से वो तोड़ लिए।(2)
महफ़िल में आज फिर तेरी बातें चलीं,
लोग मुस्कराए, हम आँसू ओढ़ लिए।(2)
वो शाम आज भी यादों में जलती रही,
हमने तो ख़्वाब तेरे सीने से जोड़ लिए।(2)
जो दर्द तूने दिया, वो भी अपना लगा,
हमने तो ज़ख़्मों को ग़ज़लों में जोड़ लिए।(2)
“जी आर” कहे, मोहब्बत की यही रीत है,
कभी हँस लिए, कभी ग़म भी हम तो ओढ़ लिए।(2)
जी आर कवियुर
27 10 2025
(कनाडा, टोरंटो))
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