पलको की छांव में
बरसाती बहरों में,
तरसता रहा मैं,
तेरी राहों में।
खामोश लम्हों में,
तेरी यादें आईं,
सपनों की गलियों में,
तेरी खुशबू समाई।
चांदनी रातों में,
तेरा चेहरा निखरा,
दिल ने पुकारा,
तू क्यों इतना बिखरा।
हर धड़कन में बस तेरा नाम है,
तेरे बिना मेरा क्या अंजाम है।
जी आर कवियुर
06 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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