Thursday, October 23, 2025

“प्रेम की नींद”

“प्रेम की नींद”

नींद की राह में
मुलायम स्पर्श बह रहा है
आँखों में नीली परछाइयाँ
होंठों पर मधुर मौन

हवा में घुला सुगंधित खुशबू
दिल की धड़कन जाग उठी
तेरा आगमन रोशन करेगा रात
सपने सहज रूप से आएँगे

तेरी मौजूदगी हर पल भर देती है
यादें मेरे दिल को भीगाती हैं
छायाओं में तुझको ढूँढता हूँ
प्रेम की चाँदनी नृत्य करती है

जी आर कवियुर 
22 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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