Friday, October 3, 2025

स्वर संगीत

स्वर संगीत

ध्वनि की लय में दिल गूँज उठता,
उड़ते पंछियों का मधुर गीत सुनता।

ताल की धुन हाथों में लिखी लिपि,
स्मृतियों में खुलता संगीत का दीपि।

चाँदनी की रौशनी में नृत्य भाव,
मध्यरात्रि का मधुर गान छूता भाव।

आँसुओं की लकीरों में पला गीत,
प्रेम की लय में हर दिल झूमित।

प्रकृति का संगीत आत्मा जगाए,
जीवन की कहानी गीतों में समाए।

सपनों पर बुनता संगीत का जाल,
मधुरसंगीत जैसे हृदय में हाल।

जी आर कवियुर 
03 10 2025
( कनाडा, टोरंटो)


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