ये तमाम इश्क़ की नज़रे किसके लिए,
चाँद, चाँदनी और तारे किसके लिए।
हर ख्याल में तेरी तसवीर बस गई,
अब ये दिल के किनारे किसके लिए।
तेरे होंठों से निकली दुआ बन गई,
अब ये सांसों के सहारे किसके लिए।
तेरे नाम की खुशबू से महका जहाँ,
ये बहारों के इशारे किसके लिए।
तू जो रूठा तो वीरान लगने लगा,
ये सजदे, ये सहारे किसके लिए।
जी आर कहे, अब तुझ बिन कुछ भी नहीं,
ये ग़ज़ल, ये इशारे किसके लिए।
जी आर कवियुर
05 10 2025
( कनाडा, टोरंटो)
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