अकेला तो, अकेला ही सही,
रास्ता फिर भी मेरा है सही(2)
चाँद संग चलता साया नहीं,
दिल में जलता उजाला सही(2)
ख़ामोशी में भी गीत हैं छुपे,
हर सांस में कुछ सपना सही(2)
मिलने की आस अब भी है कहीं,
टूटी उम्मीद का सहारा सही(2)
दर्द को गले लगाकर जियूं,
ज़िंदगी का ये फ़साना सही (2)
“जी आर” मुस्कुरा कर कहे,
तन्हाई भी कोई सज़ा नहीं, दवा सही(2)
जी आर कवियुर
12 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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