Tuesday, October 28, 2025

समय की सरगोशियाँ

समय की सरगोशियाँ 

यादों को संभालना नहीं, उन्हें जीना है,
दिल की नरम हवा में उनका जन्म होता है।
आँखों की नमी में वे चमक उठती हैं,
सांझ की ख़ामोशी में क्षितिज में खो जाती हैं।

सुगंध भरी बयार में वे नाच उठती हैं,
पत्तों के गीतों में वे छिप जाती हैं।
नज़रों की शांति में वे विश्राम करती हैं,
चाँद की बातें सितारे सुनते हैं।

वे पल जिन्हें समय भी छू नहीं पाता,
प्रेम की प्रतिध्वनियों में वे बस जाती हैं।
दृश्यों में बाँध न सके कोई वह मिठास,
जीवन के क्षणों में वे अमर हो जाती हैं।

जी आर कवियुर 
28 10 2025
(कनाडा, टोरंटो))

No comments:

Post a Comment