जब मैं प्रिय राग सुनता हूँ,
मन में नए, सुंदर सपने जाग उठते हैं।
हवा में नाचते गुच्छों वाले फूलों की तरह,
मेरा हृदय धीरे-धीरे गाता है।
छायाओं में छुपी यादें
क्षणों में लौट आती हैं।
चंदन की खुशबू की तरह,
दुख आँखों से धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं।
प्रेम का संगीत, कोमल देखभाल से भरा,
मौन में स्वर्गीय लयों में गाता है।
मेरा हृदय उमड़ता है,
हर साँस आनंद की ओर मुड़ती है।
जी आर कवियुर
14 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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