Thursday, October 9, 2025

पागल हुआ (ग़ज़ल गीत)

पागल हुआ (ग़ज़ल गीत)

तेरे इश्क़ में पागल हुआ
आशियाना ढूँढते पागल हुआ(2)

रात की चादर ओढ़ के मैं सोया
तेरे ख्यालों में खोया, पागल हुआ(2)

चाँदनी भी शरमाई तेरे नूर से
हर साया तुझसे डरा, पागल हुआ(2)

तेरी हँसी की खुशबू में बह गया
हवा के संग गा उठा, पागल हुआ(2)

दिल की गली में तू बसेरा कर गया
हर धड़कन तेरी पुकार से, पागल हुआ(2)

तेरी मोहब्बत की गहराई में डूबा,
जी आर भी पागल हुआ।(2)

जी आर कवियुर 
09 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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