भूमिका :
हर सुबह जो मन को जगाती है,
हर हवा जो फूलों की ख़ुशबू से भर जाती है,
वह प्रेम ही है – हृदय की प्रकृति बनकर।
गीत - हृदय की प्रकृति
फूलों से सजी हुई राहें,
नई सुबह की मधुर बाहें,
उड़ती तितली रंग बिखेरे,
हल्की बयार सपने घेरे।
नीला आकाश खुले ख़ज़ाने,
जगते स्वप्न सुहाने-सुहाने,
मुस्कान भरी किरणें लाए,
प्यार का संदेश सुनाए।
हरी घास पर गूँजे गान,
जीवन का बन जाए विधान,
मन में खिले जो प्रेम पुकार,
स्मृति बने वह सदा साकार।
जी आर कवियुर
03 10 2025
( कनाडा, टोरंटो)
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