दूर कितने ही हो बस,
दिल से दिल एक बस(2)
तेरी यादों का आलम,
रात की सान्झ में बस(2)
हर नज़र ढूंढे तुझे ही,
ख़्वाब में, नींद में बस(2)
ज़िन्दगी की किताब में,
तेरा ही नाम है बस(2)
रह गई है जो कमी,
वो तेरी बात थी बस(2)
मिल न पाए अगर भी,
रूह से रूह एक बस(2)
‘जी आर’ कहे मोहब्बत,
कह सकी न कुछ, बस(2)
जी आर कवियुर
15 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
No comments:
Post a Comment