भक्ति की छाया में हृदय जगमगाए,
दिव्य प्रकाश में विचारों का फूल खिले।
नामों की मधुरता कानों में बहे,
नेत्रों में दीपक प्रेम से जले।
मौन प्रार्थना में विचार डूब जाएँ,
करुणा की लहरों में दुख दूर हो जाए।
तुलसी की पत्तियों में आशा खिले,
मुद्रित हाथों में फूल खिल उठे।
देव का नाम जब उच्चारित हो,
अंतर्मन में आनंद और शांति फैल जाए।
नीला आकाश सबका साक्षी बने,
उसकी असीम करुणा से जग जगमगाए।
जी आर कवियुर
23 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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