Tuesday, October 14, 2025

मोहब्बत याद आई,(ग़ज़ल)

मोहब्बत याद आई,(ग़ज़ल)

आज तेरी मोहब्बत याद आई,
रात भर तेरी सूरत मुस्कुराई।(2)

चाँदनी में तेरी खुशबू बिखरी,
हर हवा में तेरी बातें समाई।(2)

ख़ामोशी में भी तेरी आवाज़ आई,
दिल ने तन्हाई को भी महकाई।(2)

सपनों की गलियों में तेरा नाम गूंजा,
हर लम्हा तेरी यादें साथ लाई।(2)

आँखों में बस गए तेरे मंज़र,
जैसे बारिश में रंगत छलक आई।(2)

जी आर ने जब कलम उठाई,
तेरी मोहब्बत फिर याद आई।(2)

जी आर कवियुर 
14 10 2025 
(कनाडा, टोरंटो)

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