जाम से जाम जब टकराई
अंजाम में तेरी याद आई (2)
शराब भी तेरी आँखों सी थी
पीते ही रगों में आग आई(2)
लबों की ख़ुशबू, ग़ज़ल का सफ़र
हर सुर में बस तेरी बात आई(2)
कभी तू नज़रों में ढलकर बसी
कभी ख़्वाब बन के दिल में समाई(2)
वो आई तो महफ़िल महक उठी
हर साँस में जैसे जान आई(2)
ये ग़ज़ल लिखते हुए जी आर को
तेरी याद फिर से उभर आई(2)
जी आर कवियुर
23 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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