उसका चाँद (ग़ज़ल)
काली बादल की गुनगटों से झाँका मुखड़ा चाँद,
दिल की तन्हाई में फिर उजला हुआ उसका चाँद।(2)
रात की चुप्प में गूँजी उसकी मधुर हँसी उसका चाँद,
सपनों की गलियों में बिखरी उसकी मुस्कान उसका चाँद।(2)
चाँदनी की ओट में छुपा नूर का रंग उसका चाँद,
हवा के झोंकों में महका हर प्यार का संग उसका चाँद।(2)
सितारों की महफ़िल में बस वही दीखता उसका चाँद,
हर तरफ़ बिखरी यादें जैसे बहार का रंग उसका चाँद।(2)
आँखों की गहराई में बसे उसकी नज़रों के जादू उसका चाँद,
दिल के वीराने में खिल उठे जैसे गुलाब का फूल उसका चाँद।(2)
रूह की सुनसान राहों में भी उसका असर रहे उसका चाँद,
हर धड़कन में बसता नाम उसका, हमेशा तेरा असर रहे उसका चाँद।(2)
जी आर की मोहब्बत में यह ग़ज़ल समेटी,
इश्क़ की ताबीर में हर लम्हा बस रहा उसका चाँद।(2)
जी आर कवियुर
30 10 2025
(कनाडा , टोरंटो)
No comments:
Post a Comment