दिल की तारों में धीरे-धीरे,
उठती है एक दुर्लभ धुन,
मधुर पीड़ा में गाई जाने वाली गीत,
लहरें भी इसका संगीत गुनगुनाती हैं। (2)
मन के गहराई में, खिलते फूलों की तरह,
प्रेम की नई रोशनी बिखरती है,
हवा में बहता स्पर्श सा,
स्मृतियों में सुख भरा बहता है। (2)
दिल की तारों में धीरे-धीरे,
उठती है एक दुर्लभ धुन,
मधुर पीड़ा में गाई जाने वाली गीत,
लहरें भी इसका संगीत गुनगुनाती हैं।
रात की खामोशी में मिलते संगीत के पल,
सबेरे, चिड़ियों के गीत जैसे सुनाई देते हैं,
हृदय जागता है, गाता गहन अनुराग,
स्वप्निल आंखों में प्रतिबिंबित कोमल भावना।(2)
दिल की तारों में धीरे-धीरे,
उठती है एक दुर्लभ धुन,
मधुर पीड़ा में गाई जाने वाली गीत,
लहरें भी इसका संगीत गुनगुनाती हैं।
जी आर कवियुर
28 10 2025
(कनाडा, टोरंटो))
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