Monday, October 6, 2025

मिले (ग़ज़ल )

मिले (ग़ज़ल )

नज़र नज़रों से मिले,
सुर सुरों से मिले,
ताल तालों से मिले,
राग रागों से मिले।

जब ख़ुदा भी मुस्कुराए तेरे ज़िक्र से,
हर दुआ दिल से निकले और तुझसे मिले।

सागर की गहराइयों में तेरा नाम लिखा,
किनारा भी उठे लहर बनके तुझसे मिले।

तेरे होंठों की मिठास में है सरगम का रंग,
हर तराना तेरे साज़ की धुन से मिले।

जैसे चाँद रात में उतरे उजाले के साथ,
वैसे दिल को सुकून तेरी नज़र से मिले।

हर सांस में तेरी यादों की महक है 'जी आर',
ये ग़ज़ल तेरे नाम की ख़ुशबू से मिले।

जी आर कवियुर 
06 10 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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