Sunday, October 12, 2025

दिल के नग़मे (ग़ज़ल)

दिल के नग़मे (ग़ज़ल)

गले लगाया तूने मेरे नग़मे,
प्रीत से सजाया तूने अपने नग़मे(2)

तेरे लबों से छनके जो सुर के नग़मे,
दिल में बसाएँ हमने तेरे नग़मे(2)

रात की खामोशी में जब तू गुनगुनाए,
सितारे झुककर सुनते तेरे नग़मे(2)

हर दर्द को तूने साज पे सुलाया,
प्रीत ने बाँधे आँसू से नग़मे(2)

तेरी मुस्कान में जो मिठास उतरी,
वो बन गए फिर मेरे नग़मे(2)

जी आर कहे, तेरे इश्क़ की महक से,
ज़िंदा रहें ये दिल के नग़मे(2)

जी आर कवियुर 
11 10 2025

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